उन्नत भारत अभियान (यूबीए)
गांधी जी ने अपने मौलिक कार्य, 'हिंद स्वराज' का स्वप्न देखा था , पर पश्चिमी विकासात्मक प्रतिमान, केंद्रीकृत तकनीकों और शहरीकरण पर आधारित है, ने बढ़ती असमानता (अपराध और हिंसा की ओर) और तेजी से होने वाले जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दिया है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए, 'ग्राम स्वराज्य' की आत्मनिर्भरत पर गांधी जी की दूरदर्शिता के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहन देना आवश्यक है, जो स्थानीय संसाधनों पर आधारित है तथा इसमें विकेंद्रीकृत पर्यावरण हितैषी प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है, जिससे आश्रय, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा, आजीविका, परिवहन और शिक्षा स्थानीय रूप से उपलब्ध हो। यह गांवों के समग्र विकास की दृष्टि होनी चाहिए। वर्तमान में, भारत में 70% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जो कृषि और संबद्ध क्षेत्र के साथ 51% रोजगार का सृजन करते हुए कृषि एवं संबंधित क्षेत्र में कृषि कार्य में शामिल है, लेकिन यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 17% हिस्सा है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य, शिक्षा, आय और बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में असमानता और शहरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर असंतोष और प्रवासन के कारण विकास से दूरी बनी है। सतत विकास की अनिवार्यताएं जिससे दुनिया भर में अधिक तीव्रता से महसूस की जा रही हैं, वे भी गांवों के माहौल के अनुकूल विकास और स्थानीय स्तर पर रोजगार के उचित अवसरों के निर्माण की मांग करते हैं। बढ़ता शहरीकरण न तो टिकाऊ है और न ही वांछनीय। अब तक, हमारे प्रोफेशनल उच्चतर शिक्षा संस्थान मुख्य रूप से मुख्यधारा के औद्योगिक क्षेत्र को पूरा करने के लिए उन्मुख रहे हैं, और कुछ अपवादों को छोड़कर, ग्रामीण क्षेत्र के विकास में सीधे योगदान देते हैं। उन्नत भारत अभियान (यूबीए) इस दिशा में एक बहुत आवश्यक और अत्यधिक चुनौतीपूर्ण पहल है।