संस्थान के रणनीतिक दस्तावेज को तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान में उत्कृष्टता, आजीवन सीखने और विश्लेषणात्मक क्षमताओं को विकसित करने तथा विद्यार्थियों के बीच मूल्यों एवं नैतिकता को विकसित करने और समाज में सार्थक योगदान देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए तैयार किया गया था। विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे उद्योगों में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और उच्च शिक्षा, अनुसंधान एवं उद्यमिता को बढ़ावा देंगे। नवाचार और लचीलापन सभी प्रयासों में मुख्य होगा। आउटरीच गतिविधियों पर जोर दिया जाएगा।
संस्थान भविष्य में एक अग्रणी भविष्य में दुनिया के शीर्ष प्रमुख संस्थानों में अपना स्थान रखता है। इसे प्राप्त करने के लिए, संस्थान की दृष्टि एवं लक्ष्यों को तैयार किया गया था, जिसमें कुछ दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्यों की पहचान तथा गतिविधियों की योजना तय की गई थी।
देश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा प्रदान करना तथा अनुसंधान एवं नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना।
गुणवत्तापूर्ण तकनीकी एवं वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान करना तथा इंजीनियरों, टेक्नोलॉजिस्ट, वैज्ञानिकों एवं ऐसे नागरिकों का सृजन करना जो देश के विकास एवं वृद्धि में अर्थपूर्ण योगदान दे सकें एवं ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को उन्नत बना सकें। उत्कृष्टता एवं नवाचार पर ध्यान रखते हुए संस्थान में अनुसंधान आधारित शिक्षण अध्ययन माहौल से विद्यार्थियों को परिचित कराना।
दृष्टि एवं लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों, दीर्घकालिक और अल्पकालीन को निर्धारित किया गया था।
जीवन भर सीखने के लिए परिवर्तनकारी शिक्षा प्रदान करना। देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए अनुसंधान और नवाचार का नेतृत्व करना। एक ऐसे समुदाय को तैयार करना, जो सहयोगी और समावेशी उत्कृष्टता का प्रतीक हो। समाज और उद्योग के साथ जुड़ाव बढ़ाना।
इंजीनियरिंग श्रेणी में एनआईआरएफ रैंकिंग के शीर्ष 10 में स्थान पाने वाला एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान बनना। औद्योगिक और राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अनुसंधान और नवाचार में प्रतिष्ठा स्थापित करना। शैक्षिक क्षेत्रों और निधि के आधार को व्यापक बनाना। अधिक संख्या में अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को आकर्षित करना तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना। पूर्व छात्र सम्पर्क बढ़ाना। स्वच्छ एवं हरे-भरे परिसर को विकसित करना।
उद्देश्यो को प्राप्त करने के लिए, विभिन्न गतिविधियों के क्षेत्रों में कार्य योजना का एक सेट तैयार किया गया था।
उद्योग और समाज की आज की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन तथा विद्यार्थियों को लचीलेपन की अनुमति देना । पाठ्यक्रम संशोधन प्रक्रिया और सामग्री वितरण में औद्योगिक विषय के विशेषज्ञों की भागीदारी में वृद्धि। एनआईटी परिषद द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के नियमित अकादमिक ऑडिट का व्यवस्थित आयोजन। सभी कार्यक्रमों को स्वीकृति देने की पहल। विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता में सुधार करने के लिए भाषा प्रयोगशाला, फिनिशिंग स्कूल और सौम्य कौशल विकास का उपयोग। विद्यार्थियों में उच्च अध्ययन के बारे में उत्साह पैदा करना। मांग वाले शैक्षणिक कार्यक्रमों में क्षमता बढ़ाना। सभी स्तरों पर विद्यार्थी विनिमय कार्यक्रम के लिए भारत और विदेशों में अन्य प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों / संगठनों के साथ सहयोग करना। ई-लर्निंग पाठ्यक्रमों के विकास को बढ़ावा देना। प्रतिस्पर्धात्मक क्रीड़ा और खेल-कूद तथा अन्य पाठ्येतर गतिविधियों में भागीदारी को बढ़ावा देना तथा अन्य बहु-विषयक अकादमिक कार्यक्रम विकसित करना।
पर्यावरण और जल प्रबंधन सहित अनुसंधान-स्पाइक क्षेत्रों, विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए सहायक तकनीक आदि पर जोर देना। गुणवत्ता अनुसंधान प्रकाशनों, पेटेंट, प्रायोजित अनुसंधान और परामर्श परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि करना। प्रतिष्ठित अकादमिक / अनुसंधान / औद्योगिक संगठनों के सहयोग से गुणवत्ता अनुसंधान करने के लिए संकाय सदस्यों को प्रोत्साहित करने हेतु उद्योग / पूर्व विद्यार्थी वित्त पोषित अनुसंधान सुविधाओं को अधिक संख्या में विकसित करना। पीएचडी शोधार्थियों की संख्या में वृद्धि। अनुसंधान में नियुक्ति के लिए यूजी विद्यार्थियों हेतु टिंकरिंग प्रयोगशालाओं को विकसित करना। प्रायोजित अनुसंधान और परामर्श प्रकोष्ठ के हेफा सुदृढ़ीकरण के माध्यम से स्थापित सीओई, केंद्रीय अनुसंधान सुविधाओं की पूर्व गुणवत्ता को उन्नत बनाना।
संकाय, कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती का नियमित संचालन। संस्थान की सतत विकास प्रक्रिया और उनके सर्वांगीण व्यक्तिगत विकास में कर्मचारियों के बीच उत्साह पैदा करने की पहल। भागीदारी में वृद्धि, विभिन्न संकाय विकास प्रक्रिया का संगठन (रिफ्रेशर पाठ्यक्रम, शैक्षणिक प्रशिक्षण, सम्मेलन और डोमेन क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम)।
(क) छात्रावास - मौजूदा पुराने हॉस्टल का पूर्ण नवीकरण, मनोरंजन, क्रीड़ा और खेल सुविधाओं, छात्रावास में फर्नीचर में वृद्धि, एक सामान्य मेस खानपान विविधिकृत भोजन का विकास।
(ख) इंटरनेट सुविधा - संस्थान के सभी कोनों में अबाधित और हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के लिए इंटरनेट नेटवर्क में सुधार।
(ग) पुस्तकालय - टेक्स्ट और रेफरेंस बुक्स, रीडिंग रूम फैसिलिटी, जर्नल एक्सेस, और सभी टेक्सचुअल मटीरियल की आरएफआईडी टैगिंग और ईआरपी सिस्टम का उपयोग, माहौल में सुधार।
(घ) कक्षाएं - ऑडियो-विज़ुअल एड्स से सुसज्जित पुराने शैक्षणिक भवन की मौजूदा कक्षाओं का आधुनिकीकरण। एसी वाली कक्षाओं की संख्या में वृद्धि।
(ङ) कार्यशाला और प्रयोगशाला - पुराने उपकरणों का आधुनिकीकरण और प्रतिस्थापन, मौजूदा यूजी और पीजी प्रयोगशालाओं का विस्तार, कार्यशाला में एक आरपीटी और 3 डी प्रिंटिंग सुविधा का सृजन, पाठ्यक्रम से परे सीखने के लिए कुछ प्रयोगशाला उपकरणों की स्थापना तथा इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी का आनन्द उठाना।
(च) शैक्षणिक और प्रशासनिक भवनों की क्षमता और सुविधा में वृद्धि
(छ) एक व्यापक ईआरपी प्रणाली का उपयोग
(ज) कैम्पस सुविधा - एक ऐसे परिसर के वातावरण को बढ़ावा देना और बनाए रखना जो क्वार्टर, मेडिकल यूनिट, दुकानों, सड़कों, जल निकासी और प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा, खेल के मैदान और परिसर के सौंदर्यीकरण के निरंतर रखरखाव के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और सीखने में सहयोग करता है। योग और परामर्श केंद्र के लिए एक नई जगह का निर्माण।
सामाजिक भागीदारी - उन्नत भारत अभियान, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान, विज्ञान प्रसार, ग्रामीण स्कूलों को गोद लेना आदि। अधिक से अधिक जीआईएएन, एसटीसी, सहयोगी कार्यशालाओं और सम्मेलनों के संगठन को बढ़ावा देना। टीईक्यूआईपी-III में सक्रिय भागीदारी, अन्य संस्थानों का संरक्षण करना। बाहरी दुनिा से एमओयू बढ़ाना एवं सहयोग करना।
(i) रैंकिंग में सुधार - संस्थान भारत में शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में से 20 के भीतर एक एनआईआरएफ रैंक को सुरक्षित करने का आकांक्षी है। यह QS और THE अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में शामिल होना भी पसंद करेगा। इसे प्राप्त करने के लिए अनुसंधान, शैक्षणिक, प्लेसमेंट प्रदर्शन और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।
(ii) पूर्व विद्यार्थियों की नेटवर्किंग को मजबूत करना - पूर्व छात्रों के साथ संवाद बढ़ाने के लिए ऐल्युमनी सेल का कायाकल्प किया जाएगा। बुनियादी ढांचे के निर्माण और छात्रों एवं संकाय के विकास के लिए उनकी विशेषज्ञता को साझा करने के लिए सहयोग मांगा जाएगा।
(iii) संस्थान में उद्योग-संस्थान-सहभागिता और संस्थान में I-I-I प्रकोष्ठ का सुदृढ़ीकरण - सहयोगी परियोजनाओं, उद्योग पीएचडी कार्यक्रम, उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान देने और अकादमिक समितियों में उनकी भागीदारी तथा पाठ्यक्रम की शैक्षणिक समितियों में उनकी भागीदारी तथा पाठ्यक्रमों का पुनरीक्षण ।